Aisi Kya Nafrat Thi Usko Mere Dil Se
मेरी ज़िन्दगी को एक तमाशा बना दिया उसने, भरी महफिल में तनहा बिठा दिया उसने, ऐसी क्या थी नफरत उसको मेरे मासूम दिल से, खुशिया चुरा कर गम थमा दिया उसने…
मेरी ज़िन्दगी को एक तमाशा बना दिया उसने, भरी महफिल में तनहा बिठा दिया उसने, ऐसी क्या थी नफरत उसको मेरे मासूम दिल से, खुशिया चुरा कर गम थमा दिया उसने…
इस कदर हम यार को मनाने निकले, उसकी चाहत के हम दिवाने निकले, जब भी उसे दिल का हाल बताना चाहा, तो उसके होंठों से वक्त ना होने के बहाने निकले…
न जाने किस शख्स का इंतज़ार हमे आज भी है, सुकून तो बहुत है पर दिल बेक़रार आज भी है, तुमने हमें नफरतों के सिवा कुछ नहीं दिया लेकिन, हमे तुम्हारी नफरतों से प्यार आज भी है…
झ़ुठा अपनापन तो हर कोई जताता है, वो अपना ही क्या जो हरपल सताता है, यकीन न करना हर किसी पे, क्यू की करीब है कितना कोई ये तो वक़्त ही बताता है…